Ishwar Aur Bazar
S**H
एक बुलंद आवाज..
जसिंता के काव्य संग्रह में छोटी लेकिन बहुत ही गंभीर कविताएं हैं जो आपको अंदर तक झिझोड़ कर रख देती हैं। इनकी कविताएं जल, जंगल और जमीन तथा आदिवासी जन जीवन में सभ्यता प्रेषित खतरों को रेखांकित करते हुए एक प्रतिवाद गढ़ती हैं।
S**र
शोषित पीड़ित और उपेक्षित वर्ग के दर्द को करीब से देखने और समझने की मजबूत आवाज
जसिंता दी की रचनाएँ जब भी पढता हूँ तो लगता है इसे हमने पहले पढा और देखा है अपने घर में और आस पड़ोस more power to jacintaa di💪🙏❤🌼 हूलजोहार
A**A
इंसान होना और चेतना जागरण का नायाब कविता संग्रह
जसिंता जी ने बेहद सटीक, सहज और सरल शब्दों से सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक और इंसानी जीवन को कविता में पिरोया है। जिसमें वह मुखरता से कई गंभीर मुद्दों पर बारीक नजर से आलोचना करती हैं साथ ही साथ यह एहसास भी दिलाने की कोशिश करतीं हैं कि मानव होना और इसे खोते जाना आखिर क्या है? अत्यंत प्रासंगिक 👌
R**R
Some really lines!
The book has some really good poems that dig deep, not afraid to tell the truth. True and honest to the core.
R**V
मूल निवासियों के शोषण का मार्मिक वर्णन
बहुत शानदार कविता संग्रह।दिल को छू लेने वाली कविता,भोलेआदिवासी/मूल निवासियों के साथ अत्याचार का जीवंत संग्रह👍👍
R**R
A must read book
If u love to read go for it. A poetry that touches your heart.
B**H
आदिवासी कविता का नया सौंदर्य - विधान
जसिंता केरकट्टा की कविताएँ आदिवासियत की कविताएँ हैं , किन्तु अपनी संवेदनशीलता में वे अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करते हुए अपनी परिधि में सम्पूर्ण मानवता को समेट लेती हैं । इस संग्रह की कविताओं में आदिवासी - विमर्श है , तो स्त्री - विमर्श भी है । सत्ता की निरंकुशता के प्रति आक्रोश है , तो मनुष्यों में छीजती हुई मनुष्यता के प्रति क्षोभ भी है । दरअसल , जसिंता केरकेट्टा की कविताएँ आदिवासी - विमर्श के आलोक में विद्रोही कविताओं का एक नया सौंदर्य - विधान रच रहीं हैं , किन्तु यह विद्रोह का भाव उनमें अनायास नहीं आ गया । ' ईश्वर और बाज़ार ' की भूमिका में वे कहती हैं , " ऐसा लगता है मेरे पुरखों ने जो नहीं कहा या संकेतों में कहा , मेरी माँ ताउम्र जो नहीं कह सकी , वो सारी चुप्पी एक दिन कविता में बदल गयी । मैं हमेशा उन लोगों की आभारी हूँ जिन्होंने बहुत भरोसे और प्यार से अपना सारा चुप मुझे चुपचाप बहुत कुछ बोलने और लिखने को दे दिया । " जसिंता का यह काव्य - संग्रह न केवल पठनीय है , अपितु संग्रहणीय भी है ।
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